फिरोजाबाद के दिहुली हत्याकांड में 44 साल 4 महीने बाद मंगलवार को कोर्ट ने फैसला सुना दिया. वर्ष 1981 में यहां डकैतों के एक गिरोह ने दलितों के गांव पर हमला बोला था और दलितों पर अंधाधुंध गोलियां चलाकर 24 दलितों की हत्या कर दी थी.
कई अन्य दलित भी जख्मी हुए थे, जिसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे. दलित हत्याकांड से इतना ज्यादा आक्रोश फैला था कि यूपी से लेकर दिल्ली की सरकारें हिल गई थीं. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी दिहुली गांव का दौरा किया था. कोर्ट ने तीन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है.
इंदिरा गांधी गांव में पैदल ही घूमीं थीं. विपक्ष ने इस नरसंहार को लेकर तब इंदिरा सरकार को कठघरे में खड़ा किया था. विपक्ष के नेता बाबू जगजीवनराम ने भी इस गांव का दौरा किया था. इस घटना में कुल 17 अभियुक्त थे, जिनमें से 13 की मौत हो चुकी है.
जबकि 4 बचे आरोपियों में तीन को दोषी ठहराया गया है. जबकि एक को भगोड़ा घोषित किया गया है. अब कोर्ट ने तीनों दोषियों को फांसी की सजा सुनादिया है.
बता दें कि फिरोजाबाद जिले के जसराना तहसील में दिहुली गांव है. यहां 18 नवंबर 1981 को डकैत संतोष और राधे के गिरोह ने दलितों को गोलियों से भून डाला था.
44 साल बाद इस हत्याकांड के मामले में इंसाफ का इंतजार है. कोर्ट ने तीन डकैतों को दोषी करार दे चुकी है. घटना के वक्त दिहुली गांव मैनपुरी जिले में था.
दिहुली गांव में 18 नवंबर 1981 दलितों का सामूहिक नरसंहार हुआ था.
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